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"इंतज़ार के उस पार "

7/3/2025
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"इंतज़ार के उस पार "नायरा, तुम मुझे नहीं जानती, लेकिन मैं तुम्हें हमेशा से जानता हूँ। हम मिले तो कभी नहीं, लेकिन हमारी रूहें कहीं न कहीं जुड़ी हैं। मैं तुम्हें ढूँढ़ रहा हूँ... और तुम भी शायद मुझे। अगर ये ख़त तुम्हारे हाथों में आया है, तो समझो कि हमारी कहानियों का वक्त आने वाला है।

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