
शहर के जीवन से बहुत दूर, समुद्र तल से लगभग ४५०० मीटर ऊपर, जनवरी की कड़क सर्दी में जब तापमान शुन्य से लगभग २० डिग्री सेल्सियस नीचे चल रहा है,जहां आप केवल तेज हवा या कभी-कभी केवल पक्षियों की आवाज़ ही सुन पाते हैं, और जहां आसमान की सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। आज हम आपको वहीं लदाख के हानले में स्थित खगोल विज्ञान स्टेशन में ले जा रहे हैं।
“वैज्ञानिक और उनके अनोखे कर्मक्षेत्र” में हमारे साथ हैं, इंजीनियर एवं एस्ट्रोफोटोग्राफर दोरजे अंगचुक ।अंगचुक १९९८ से, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, हानले का हिस्सा रहे है। फिर उन्होंने एक दशक बाद अपना कैमरा अंतरिक्ष की ओर कर दिया और खगोल विज्ञान को कुछ प्रसिद्ध और लोकप्रिय चित्र दिए। और इसी कला ने अब उन्हें अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ में मानक सदस्य के रूप में स्थान दिया है।
आइये सुनते हैं दोरजे अंगचुक की तारों भरी दुनिया की अनोखी कहानियां।
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